12/30/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/30/2025 02:47
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मुख्य अंश
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भूमिका
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा संचालित एक नए युग की कगार पर खड़ा है, जहाँ प्रौद्योगिकी जि़न्दगियां बदल रही है और देश की प्रगति को आकार दे बना रही है। एआई अब केवल शोध प्रयोगशालाओं या बड़ी कंपनियों तक ही सीमित नहीं है। यह हर स्तर पर नागरिकों तक पहुँच रहा है। दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को बेहतर बनाने से लेकर किसानों को फसल के बारे में पूरी जानकारी के साथ निर्णय लेने में मदद करने तक, एआई दैनिक जीवन को सरल, स्मार्ट और अधिक कनेक्टेड बना रहा है। यह व्यक्तिगत शिक्षा के माध्यम से कक्षाओं में क्रांति ला रहा है, शहरों को साफ और सुरक्षित बना रहा है, और तेज, डेटा-आधारित शासन के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बना रहा है।
इंडियाएआई मिशन और एआई उत्कृष्टता केंद्र जैसी पहलें इस परिवर्तन के केंद्र में हैं। ये कंप्यूटिंग पॉवर तक पहुँच का विस्तार कर रही हैं, अनुसंधान का समर्थन कर रही हैं, और स्टार्टअप्स तथा संस्थानों को ऐसे समाधान तैयार करने में मदद कर रही हैं, जिनसे लोगों कोसीधे लाभ पहुँचे। भारत का दृष्टिकोण एआई को खुला, किफायती और सुलभ बनाने पर केंद्रित है, यह सुनिश्चित करते हुए कि नवाचार समाज को समग्र रूप से उन्नत करे।
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है? कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) वह क्षमता है जो मशीनों को ऐसे कार्य करने में सक्षम बनाती है जिनके लिए सामान्यतः मानव बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। यह सिस्टम्स को अनुभव से सीखने, नई परिस्थितियों के अनुकूल ढलने, और जटिल समस्याओं को स्वतंत्र रूप से हल करने में सक्षम बनाती है। एआई डेटा सेट, एल्गोरिदम और बड़े भाषा मॉडल का उपयोग करके जानकारी का विश्लेषण करता है, पैटर्न पहचानता है, और प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करता है। समय के साथ, ये सिस्टम्स अपनी प्रदर्शन क्षमता में सुधार करती हैं, जिससे वे मनुष्यों के समान तर्क कर सकें, निर्णय ले सकें, और संवाद कर सकें। |
यह समावेशी दृष्टिकोण नीति आयोग की रिपोर्ट, "समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई" (अक्टूबर 2025) में भी परिलक्षित होता है। रिपोर्ट दिखाती है कि कैसे एआई भारत के 49करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कौशल विकास, और वित्तीय समावेशन तक पहुँच प्रदान करके सशक्त बना सकता है। यह रेखांकित करती है कि एआई-आधारित उपकरण लाखों ऐसे लोगों की उत्पादकता और लचीलेपन को बढ़ा सकते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। रिपोर्ट इस बात पर भी जोर देती है कि प्रौद्योगिकी गहरी सामाजिक और आर्थिक खाइयों को पाट सकती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि एआई के लाभ हर नागरिक तक पहुँचें।
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वर्तमान में भारत में एआई इकोसिस्टम
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जैसे-जैसे भारत एक समावेशी एआई इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है, इसकी बढ़ती वैश्विक मान्यता इस प्रगति को दर्शाती है। स्टैनफोर्ड एआई सूचकांक जैसी रैंकिंग भारत को एआई कौशल, क्षमताओं और नीतियों में शीर्ष चार देशों में स्थान देती है। देश गिटहब पर एआई परियोजनाओं में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता भी है, जो इसके डेवलपर समुदाय की ताकत को उजागर करता है। एक मजबूत STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित) कार्यबल, विस्तृत अनुसंधान इकोसिस्टम, और बढ़ती डिजिटल अवसंरचना के साथ, भारत आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, और 2047 तक विकसित भारत के दीर्घकालिक विज़न को साकार करने हेतु एआई का उपयोग करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
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भारत दुनिया का तीसरा सबसे एआई-प्रतिस्पर्धी देश है स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के 2025 ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रतिस्पर्धात्मकता में वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया है। यह रैंकिंग वैश्विक एआई परिदृश्य में भारत के तेज़ विकास को उजागर करती है। रिपोर्ट 2017 से 2024 तक एआई विकास और नवाचार को मापती है। यह हालिया उपलब्धि भारत की तेजी से बढ़ती एआई प्रतिभा, मजबूत अनुसंधान क्षमताओं, जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम, निवेश और आर्थिक प्रभाव, अवसंरचना, औरनीति तथा शासन को रेखांकित करती है। |
इंडिया एआई मिशन
"भारत में एआई बनाना और एआई को भारत के लिए कारग़र बनाना"के विज़न से प्रेरित होकर, कैबिनेट ने मार्च 2024 में इंडियाएआई मिशन को मंजूरी दी, जिसका पांच वर्षों के लिए बजट ₹10,371.92 करोड़ है। यह मिशन भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
अपने लॉन्च से ही, मिशन ने देश की कंप्यूटिंग अवसंरचना के विस्तार में मजबूत प्रगति की है। 10,000 जीपीयू के प्रारंभिक लक्ष्य से, भारत ने अब 38,000 जीपीयू हासिल कर लिए हैं, जो विश्व-स्तरीय एआई संसाधनों तक किफायती पहुँच प्रदान करते हैं।
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जीपीयू क्या है? जीपीयू या ग्राफ़िक्स प्रोसेसिंग यूनिट एक शक्तिशाली कंप्यूटर चिप है जो मशीनों को तेज़ी से सोचने, छवियों को संसाधित करने, एआई प्रोग्राम चलाने, और जटिल कार्यों को सामान्य प्रोसेसर की तुलना में अधिक कुशलता से संभालने में मदद करती है। |
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग, इंडियाएआई द्वारा कार्यान्वित यह मिशन एक व्यापक इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है जो नवाचार को प्रोत्साहित करता है, स्टार्टअप्स को समर्थन देता है, डेटा तक पहुँच को मजबूत करता है, और सार्वजनिक हित के लिए एआई का जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करता है।
इंडियाएआई मिशन के सात स्तंभ हैं:
1. इंडियाएआई कंप्यूट स्तंभ
यह स्तंभ किफायती लागतों पर उच्च-स्तरीय जीपीयू उपलब्ध कराता है। जैसा कि पहले बताया गया, 38,000 से अधिक जीपीयू शामिल किए गए हैं। ये जीपीयू केवल ₹65 प्रति घंटा की सब्सिडी दर पर उपलब्ध हैं।
2. इंडियाएआई एप्लिकेशन डिवेलपमेंट पहल
यह स्तंभ विशिष्ट रूप से भारत की चुनौतियों के लिए एआई एप्लीकेशन विकसित करता है। इसमें स्वास्थ्य सेवा, कृषि, जलवायु परिवर्तन, शासन, और सहायक शिक्षण प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। जुलाई 2025 तक तीस एप्लीकेशंस को मंजूरी दी गई है। मंत्रालयों और संस्थानों के साथ क्षेत्र-विशिष्ट हैकथॉन आयोजित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, साइबरगार्ड एआई हैकथॉन साइबरसुरक्षा के लिए एआई समाधान विकसित करने में मदद करता है।
3. एआईकोश (डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म)
एआईकोश एआई मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए बड़े डेटासेट विकसित करता है। यह सरकारी और गैर-सरकारी स्रोतों से डेटा एकीकृत करता है। इस प्लेटफ़ॉर्म में 20 क्षेत्रों में 5,500 से अधिक डेटासेट और 251 एआई मॉडल्स हैं। ये संसाधन डेवलपर्स को बुनियादी मॉड्यूल बनाने के बजाय एआई समाधान पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। दिसंबर 2025 तक प्लेटफ़ॉर्म पर 385,000 से अधिक विज़िट्स, 11,000 पंजीकृत उपयोगकर्ता, और 26,000 डाउनलोड हुए हैं।
4. इंडियाएआई फाउंडेशन मॉडल्स
यह स्तंभ भारतीय डेटा और भाषाओं का उपयोग करके भारत के अपने बड़े मल्टीमॉडल मॉडल्स विकसित करता है। यह जनरेटिव एआई में संप्रभु क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करता है। इंडियाएआई को 500 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए। पहले और दूसरे चरण में बारह स्टार्टअप्स को चुना गया: सर्वम् एआई, सॉकेट एआई, ज्ञानी एआई, गण एआई, अवतार एआई, आईआईटी बॉम्बे कंसोर्टियम - भारतजेन, ज़ेंटीक (Zenteiq), जेन लूप, इंटेलिहेल्थ, शोध एआई, फ्रैक्टल एनालिटिक्स, टेक महिंद्रा मेकर्स लैब।
5. इंडियाएआई फ़्यूचर स्किल्स
यह स्तंभ एआई-कुशल पेशेवर तैयार करता है। 500 पीएचडी फेलो, 5,000 स्नात्कोत्तर और 8,000 स्नातकोंको समर्थन प्रदान किया जाता है। जुलाई 2025 तक 200 से अधिक छात्रों को फेलोशिप मिली। 73 संस्थान पीएचडी छात्रों को शामिल कर रहे हैं। टियर 2 और टियर 3 शहरों में डेटा और एआई लैब्स स्थापित की जा रही हैं। 31 लैब एनआईईएलआईटी और उद्योग साझेदारों के साथ लॉन्च की गई हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने लैब के लिए 174 आईटीआई और पॉलिटेक्निक को नामित किया है।
6. इंडियाएआई स्टार्टअप वित्तपोषण
यह स्तंभ एआई स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इंडियाएआई स्टार्टअप्स ग्लोबल प्रोग्राम मार्च 2025 में लॉन्च किया गया। यह 10 भारतीय स्टार्टअप्स को स्टेशन एफ और एचईसी पेरिस के सहयोग से यूरोपीय बाजार तक विस्तृत करने में मदद करता है।
7. सुरक्षित और विश्वसनीय एआई
यह स्तंभ मजबूत शासन के साथ जिम्मेदार एआई एडॉप्शन सुनिश्चित करता है। रुचि पत्र (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) के माध्यम से 13 परियोजनाओं को चुना और प्रारंभ किया गया है। ये मशीन अनलर्निंग, पूर्वाग्रह शमन, निजता-संरक्षित मशन लर्निंग, व्याख्यात्मकता, ऑडिटिंग, और शासन परीक्षण पर केंद्रित हैं। 9 मई 2025 को साझेदार संस्थानों को इंडियाएआई सुरक्षा संस्थान में शामिल होने के लिए एक अतिरिक्त रुचि पत्र प्रकाशित किया गया।
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इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025में एआई 9वें इंडिया मोबाइल कांग्रेस - जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 8 अक्टूबर 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में किया - में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का मुख्य स्थान रहा। दूरसंचार विभाग और सीओएआई द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम 8 से 11 अक्टूबर तक "इनोवेट टू ट्रांसफॉर्म" थीम के तहत आयोजित किया गया। आईएमसी 2025 में छह प्रमुख वैश्विक सम्मेलन शामिल हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय एआई सम्मेलन भी शामिल है, जिसने नेटवर्क, सेवाओं, और अगली पीढ़ी की डिजिटल अवसंरचना में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका को उजागर किया। एआई, 5G, 6G, स्मार्ट मोबिलिटी, साइबरसुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, और ग्रीन टेक्नोलॉजी में 1,600 से अधिक नए उपयोग-मामले 100+ सत्रों और 800+ वक्ताओं के माध्यम से प्रदर्शित किए गए। इस कार्यक्रम में 150 देशों से 1.5 लाख से अधिक आगंतुक, 7,000 वैश्विक प्रतिनिधि, और 400 कंपनियाँ शामिल हुईं। एआई और डिजिटल प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने के लिए यह कार्यक्रम नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स, नीति निर्माताओं और उद्योग के नेताओं को एक साथ लेकर आया। |
अन्य प्रमुख सरकारी पहलें और नीतिगत प्रोत्साहन
भारत सरकार परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला के माध्यम से अपने एआई विज़न को कार्य रूप दे रही है। ये प्रयास एक मजबूत एआई इकोसिस्टम बनाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने, और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं कि प्रौद्योगिकी समाज के हर वर्ग के काम आए। विश्व-स्तरीय अनुसंधान केंद्र बनाने से लेकर देशज एआई मॉडल विकसित करने तक, सरकार का दृष्टिकोण नीति, अवसंरचना, और क्षमता निर्माण को समान रूप से संयोजित करता है।
एआई उत्कृष्टता केंद्र
अनुसंधान-आधारित नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने स्वास्थ्य सेवा, कृषि, और टिकाऊ शहरों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में तीन उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) स्थापित किए हैं। शिक्षा के लिए चौथा उत्कृष्टता केंद्र बजट 2025 में घोषित किया गया। ये केंद्र सहयोगात्मक स्थान के रूप में डिज़ाइन किए गए हैं जहाँ अकादमिक, उद्योग, और सरकारी संस्थान मिलकर स्केलेबल एआई समाधान विकसित करते हैं। इसके साथ ही, पांच राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिससेयुवाओं को उद्योग-संगत एआई कौशल के साथ तैयार किया जा सके और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकसित किया जा सके।
एआई दक्षता ढांचा
यह ढांचा सरकारी अधिकारियों के लिए संरचित प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे वे आवश्यक एआई कौशल प्राप्त कर सकें और उन्हें नीति निर्माण और शासन में लागू कर सकें। वैश्विक मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया, यह ढांचा सुनिश्चित करता है कि भारत का सार्वजनिक क्षेत्र सूचित, चुस्त, और एआई-प्रेरित भविष्य के लिए तैयार रहे।
सर्वम् एआई: स्मार्टर आधार सेवाएँ
सर्वम् एआई, बेंगलुरु स्थित कंपनी, उन्नत एआई अनुसंधान को व्यावहारिक शासन समाधानों में परिवर्तित कर रही है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के साथ साझेदारी में, यह जनरेटिव एआई का उपयोग करके आधार सेवाओं को अधिक स्मार्ट और सुरक्षित बना रही है। अप्रैल 2025 में, सर्वम् एआई को भारत का संप्रभु एलएलएम इकोसिस्टम बनाने की मंजूरी मिली, जो एक ओपन-सोर्स मॉडल है और सार्वजनिक सेवा वितरण को बेहतर बनाने और डिजिटल भरोसे को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भाषिणी: डिजिटल समावेशन के लिए आवाज़
भाषिणी एक एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म है जो कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद और संभाषण उपकरण प्रदान करके भाषा की बाधाओं को तोड़ता है। यह नागरिकों को आसानी से डिजिटल सेवाएं उपयोग करने में मदद करता है, भले ही वे पढ़ने-लिखने में सहज न हों। जून 2025 में, डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन और रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने सार्वजनिक रेलवे प्लेटफ़ॉर्म्स पर बहुभाषी एआई समाधान तैनात करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
जुलाई 2022 में लॉन्च होने के बाद से, भाषिणी के डाउनलोड का आंकड़ा 10 लाख को पार कर गया है, यह 20 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है, और 350 से अधिक एआई मॉडल्स को एकीकृत करता है। 450+ सक्रिय ग्राहकों के साथ, यह डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और भाषाई खाई को पाटना जारी रखे हुए है।
भारतजेन एआई: भारत का बहुभाषी एआई मॉडल
2 जून 2025 को भारतजेन समिट में लॉन्च किया गया,भारतजेन एआई पहला सरकार द्वारा वित्तपोषित, देशज मल्टीमॉडल बड़ा भाषा मॉडल है। यह 22 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और टेक्स्ट, संभाषण, और छवि की समझ को एकीकृत करता है।
घरेलू डेटासेट्स का उपयोग करके बनाया गया भारतजेन एआई भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है और स्टार्टअप्स तथा शोधकर्ताओं के लिए एक साझा प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, जिससेवे भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार एआई समाधान बना सकें।
इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट 2026
भारत फरवरी 2026 में एआई इम्पैक्ट समिट की मेज़बानी करेगा। इस समिट में भारत की एआई क्षमताओं को प्रदर्शित किया जाएगा और विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा। 18 सितंबर 2025 को भारत ने इस कार्यक्रम का लोगो और प्रमुख पहलों का अनावरण किया।
मुख्य प्रमुख पहलें हैं:
जिस कार्यक्रम में समिट का लोगो और प्रमुख प्रमुख पहलों का अनावरण किया गया, उसमें आठ नई फाउंडेश्नल मॉडल पहलें भी लॉन्च की गईं, जो भारत-विशिष्ट डेटा पर प्रशिक्षित देशज एआई मॉडल बनाने के लिए हैं। ध्यान का दूसरा प्रमुख केंद्र था एआई डेटा लैब्स, जिसके तहत पूरे भारत में 30 लैब्स लॉन्च की गईं, जिससे 570-लैब का नेटवर्क बना। पहली 31 लैब्स को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) और उद्योग साझेदारों के सहयोग से स्थापित किया गया था। ये लैब्स इंडियाएआई मिशन की फ़्यूचर स्किल्स पहल के तहत फाउंडेश्नल एआई और डेटा प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान 13,500 शोध छात्रों को समर्थन प्रदान करने के उद्धेश्य से इंडियाएआई फेलोशिप प्रोग्राम और पोर्टल का विस्तार भी किया गया। इसमें विभिन्न विषयों के 8,000 स्नातक, 5,000 स्नात्कोत्तर और 500 पीएचडी शोधकर्ता शामिल हैं। फेलोशिप अब इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, वाणिज्य, व्यवसाय, और लिबरल आर्ट्स जैसे क्षेत्रों के छात्रों के लिए खुली हैं।
दैनिक जीवन और कार्य में एआई
कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचार की एक नई लहर चला रही है जो दैनिक जीवन के हर हिस्से को प्रभावित करती है, स्वास्थ्य सेवा और कृषि से लेकर शिक्षा, शासन, और जलवायु पूर्वानुमान तक। यह चिकित्सकों को तेज़ी से रोगों का निदान करने में मदद करती है, किसानों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती है, छात्रों के ज्ञानार्जन के परिणामों में सुधार करती है, और शासन को अधिक कुशल तथा पारदर्शी बनाती है।
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इस परिवर्तन के केंद्र में बड़ा भाषा मॉडल (एलएलएम - लार्ज लैंग्वेज मॉडल) है। यह एक उन्नत एआई प्रणाली है, जो विशाल डेटा से सीखकर मनुष्य के समान टैक्स्ट को समझने और उत्पन्न करने में सक्षम होती है। एलएलएम वही हैं जो चैटबॉट्स, अनुवाद उपकरण, और वर्चुअल असिस्टेंट्स को संभव बनाते हैं। ये लोगों के लिए जानकारी ढूँढना, सरकारी सेवाओं का उपयोग करना, और अपनी भाषा में नए कौशल सीखना आसान बनाते हैं। |
भारत का एआई दृष्टिकोण केवल प्रौद्योगिकी तक सीमित नहीं है, यह समावेशन और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। राष्ट्रीय पहलों और वैश्विक सहयोग के माध्यम से, एआई का उपयोग वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को हल करने, सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने, और हर नागरिक के लिए अवसरों को अधिक सुलभ बनाने में किया जा रहा है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने और मौसम पैटर्न की भविष्यवाणी करने से लेकर न्यायालय के निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने तक, एआई प्रगति हेतु एक ऐसे सशक्त सहयोगी के रूप में उभर रहा है, जो एक डिजिटली सशक्त और न्यायसंगत भारत के निर्माण में मदद करता है। कुछ प्रमुख क्षेत्र जहाँ एआई दैनिक जीवन को बेहतर बना रहा है, वे हैं:
स्वास्थ्य सेवा
एआई स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी को बदल रहा है। यह चिकित्सकों को बीमारियों का जल्दी पता लगाने, चिकित्सा स्कैन का विश्लेषण करने, और व्यक्तिगत उपचार की सिफारिश करने में मदद करता है। एआई-संचालित टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को शीर्ष अस्पतालों के विशेषज्ञों से जोड़ते हैं, जिससे समय और लागत बचती है और उपचार की गुणवत्ता बेहतर होती है। भारत की हेल्थएआई, जो स्वास्थ्य सेवा में सुरक्षित और नैतिक एआई को बढ़ावा देने वाली वैश्विक संस्था है, में भागीदारी और आईसीएमआर तथा इंडियाएआई के संयुक्त प्रयासों के साथ यूनाइटेड किंगडम तथा सिंगापुर जैसे देशों के साथ सहयोग, जिम्मेदार नवाचार और वैश्विक सर्वोत्तम पद्धतियां सुनिश्चित कर रहे हैं।
कृषि
किसानों के लिए एआई एक विश्वसनीय डिजिटल साथी है। यह मौसम की भविष्यवाणी करता है, कीट हमलों का पता लगाता है, और सिंचाई व बुआई के लिए उपयुक्त समय सुझाता है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय एआई का उपयोग किसान ई-मित्र जैसी पहलों के माध्यम से कर रहा है। यह एक वर्चुअल असिस्टेंट है,जो किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी सरकारी योजनाओं तक पहुँचने में मदद करता है।
राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली और फसल स्वास्थ्य निगरानी, उपग्रह डेटा, मौसम इनपुट और मृदा विश्लेषण को मिलाकर रिअल-टाइम में परामर्श प्रदान करते हैं जो उपज और आय सुरक्षा में सुधार करती हैं।
शिक्षा और कौशल विकास
एआई को भारत की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा रहा है, जिससेज्ञानार्जन अधिक समावेशी, आकर्षक, और भविष्य के अनुकूल हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) कक्षा VI से 15 घंटे का एआई कौशल मॉड्यूल और कक्षा IX से XII तक वैकल्पिक एआई विषय प्रदान करता है। एनसीईआरटी का दीक्षा डिजिटल लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म एआई उपकरणों का उपयोग करता है, जैसे वीडियो में कीवर्ड सर्च और रीड-अलाउड फीचर्स, जिससे एआई की पहुँच (एक्सेस) बढ़ती है, विशेष रूप से दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) ने अपने साझेदारों के सहयोग से युवाओं के लिए उन्नति और विकास एआई (YUVAi) को लागू किया, एक राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसका उद्देश्य कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों को समावेशी ढंग से एआई और सामाजिक कौशल से सशक्त बनाना है। यह कार्यक्रम छात्रों को आठ विषयगत क्षेत्रों - कृषि, आरोग्य, शिक्षा, पर्यावरण, परिवहन, ग्रामीण विकास, स्मार्ट सिटी, और विधि एवं न्याय - में एआई कौशल सीखने और इस्तेमाल करने हेतु मंच प्रदान करता है, जिससे वे वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए एआई-आधारित समाधान विकसित कर सकें।
शासन और न्याय प्रदायगी
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क्या एआई के चलते बेरोजगारी बढ़ जाएगी? कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अक्सर नौकरियों के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है, लेकिन वास्तव में यह नई तरह के अवसर पैदा कर रही है। नैसकॉम की रिपोर्ट "एडवांसिंग इंडियाज़ एआई स्किल्स" (अगस्त 2024) के अनुसार, भारत का एआई प्रतिभा आधार 6-6.5 लाख पेशेवरों से बढ़कर साल 2027 तक 12.5 लाख से अधिक होने की संभावना है, जो 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्शाता है। एआई डेटा विज्ञान, डेटा क्यूरेशन, एआई इंजीनियरिंग, और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में मांग को बढ़ा रहा है। अगस्त 2025 तक, लगभग 8.65 लाख उम्मीदवार विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में नामांकित या प्रशिक्षित हो चुके हैं, जिसमें 3.20 लाख एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स में हैं। भविष्य के कार्यबल को तैयार करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फ्यूचरस्किल्स प्राइम लॉन्च किया है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो एआई सहित 10 नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में आईटी पेशेवरों की रीस्किलिंग और अपस्किलिंग पर केंद्रित है। अगस्त 2025 तक, 18.56 लाख से अधिक उम्मीदवार फ्यूचरस्किल्स प्राइम पोर्टल पर साइन अप कर चुके थे, और 3.37 लाख से अधिक ने अपना पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था। |
एआई शासन और सार्वजनिक सेवा प्रदायगी को पुनः आकार दे रहा है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट फेज III के तहत, न्याय प्रणाली को अधिक कुशल और सुलभ बनाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत किया जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसके उपसर्ग जैसे मशीन लर्निंग, ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्नीशन, और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग अनुवाद, पूर्वानुमान, प्रशासनिक दक्षता, स्वचालित फाइलिंग, इंटेलीजेंट शेड्यूलिंग, और चैटबॉट्स के माध्यम से संचार में किया जा रहा है। उच्च न्यायालयों में एआई अनुवाद समितियाँ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की निगरानी कर रही हैं। ई-एचसीआर और ई-आईएलआर जैसे डिजिटल कानूनी प्लेटफ़ॉर्म अब नागरिकों को कई क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन निर्णयों तक पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे न्याय प्रदाय अधिक पारदर्शी और समावेशी बनता है।
मौसम पूर्वानुमान और जलवायु सेवाएँ
एआई भारत की प्राकृतिक घटनाओं की भविष्यवाणी और प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत कर रहा है। भारतीय मौसम विभाग एआई-आधारित मॉडल्स का उपयोग वर्षा, धुंध, बिजली, और आग का पूर्वानुमान लगाने के लिए करता है। एडवांस्ड ड्वोरक तकनीक चक्रवात की तीव्रता का अनुमान लगाने में मदद करती है, जबकि मौसमजीपीटी - एक आगामी एआई चैटबॉट - किसानों तथा आपदा प्रबंधन एजेंसियों को मौसम तथा जलवायु से संबंधित रिअल-टाइम सलाह प्रदान करेगा।
समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई
नीति आयोग की रिपोर्ट, "समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई" (अक्टूबर 2025), भारत के अनौपचारिक कार्यबल को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का एक रोडमैप प्रस्तुत करती है। यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है: दुनिया की सबसे उन्नत प्रौद्योगिकियाँ सबसे अधिक उपेक्षित श्रमिकों तक कैसे पहुँच सकती हैं, जिससेवे बाधाओं को पार कर सकें और भारत की विकास गाथा में अपना स्थान सुनिश्चित कर सकें?
रिपोर्ट अनौपचारिक श्रमिकों के वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित है। यह राजकोट में एक गृह स्वास्थ्य सहायक, दिल्ली में एक बढ़ई, एक किसान, और अनेक अन्य लोगों की चुनौतियों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है। ये कहानियाँ लगातार बनी रहने वाली बाधाओं को दिखाती हैं, लेकिन साथ ही उन व्यापक संभावनाओं को भी उजागर करती हैं जिनके द्वार सोच-समझकर तैनात की गई प्रौद्योगिकी खोल सकती है। इन लाखों लोगों के लिए, प्रौद्योगिकी को उनके कौशल का स्थान नहीं लेना चाहिए, बल्कि उन्हें और सशक्त बनाना चाहिए।
यह रोडमैप बताता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, और इमर्सिव लर्निंग किस प्रकार भारत के 49 करोड़अनौपचारिक श्रमिकों के सामने मौजूद प्रणालीगत बाधाओं को दूर कर सकते हैं। यह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहाँ साल 2035 तक वॉयस-फर्स्ट एआई इंटरफ़ेस भाषा और साक्षरता की बाधाओं को पार कर लें। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स समयबद्ध और पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित करेंगे। माइक्रो-क्रेडेंशियल्स और ऑन-डिमांड लर्निंग श्रमिकों को उनकी महत्वाकांक्षा की गति के अनुसार कौशल उन्नयन में सक्षम बनाएँगे।
इस दृष्टि के केंद्र में है डिजिटल श्रमसेतु मिशन, जो भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर लागू करने की एक राष्ट्रीय पहल है। यह मिशन व्यक्ति-आधारित या क्षेत्र-आधारितप्राथमिकता निर्धारण, राज्य-प्रेरित कार्यान्वयन, नियामक सक्षमकरण, तथा रणनीतिक साझेदारियों पर केंद्रित है, जिससेवहनीयता और व्यापक स्तर पर एआई एडॉप्शन सुनिश्चित किया जा सके। यह सरकार, उद्योग और नागरिक समाज को एकजुट करेगा, जिसे एक सुदृढ़ बहु-स्तरीय प्रभाव मूल्यांकन ढाँचे द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि इस समावेशी डिजिटल उन्नति को हासिल करने के लिए केवल आशावाद पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) में समन्वित निवेश, लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम, तथा एक सुदृढ़ नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होगी। आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और जन धन जैसी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाओं में भारत की पूर्व सफलताएँ यह दर्शाती हैं कि समावेशी और बड़े पैमाने पर लागू किए जा सकने वाले प्लेटफ़ॉर्म संभव हैं।
प्रस्तावित कार्यान्वयन रोडमैप:
चरण 1 (2025-2026): मिशन अभिमुखीकरण
मिशन चार्टर का प्रारूपण, जिसमें स्पष्ट लक्ष्य, समय-सीमाएँ और मापनीय परिणाम निर्धारित किए जाएँगे। प्राथमिकताओं के निर्धारण और उद्देश्यों को परिभाषित करने हेतु सरकार, उद्योग, शिक्षाजगत तथा नागरिक समाज के हितधारकों को सहभागी बनाया जाएगा।
चरण 2 (2026-2027): संस्थागत ढाँचे की स्थापना और शासन संरचना का अभिकल्पन
अंतर-क्षेत्रीय शासन संरचनाओं, नेतृत्व भूमिकाओं तथा कार्यान्वयन रूपरेखा की स्थापना। यह चरण विधिक, नियामक और डिजिटल अवसंरचना की तत्परता पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही घरेलू नवाचार तथा सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को प्रोत्साहित करेगा।
चरण3(2027-2029): प्रायोगिकपरियोजनाओं तथा चयनित कार्यक्रमों का शुभारंभ
उच्च तत्परता वाले क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों में समाधानों के परीक्षण हेतु प्रायोगिक परियोजनाएँ लागू की जाएँगी। एआई की पहुँच (एक्सेसिबिलिटी) और अंतिम छोर तक इसके एडॉप्शन (लास्ट-माइल एडॉप्शन) को प्राथमिकता दी जाएगी, जिसे सुदृढ़ निगरानी और मूल्यांकन ढाँचों द्वारा समर्थित किया जाएगा।
चरण 4 (2029 से आगे): राष्ट्रव्यापी विस्तार और एकीकरण
सफल सिद्ध समाधानों को राज्यों और शहरों में व्यापक स्तर पर लागू किया जाएगा। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससेक्षेत्रीय प्रासंगिकता बनी रहे और विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों की गतिशीलता को बढ़ावा मिले। इस चरण का उद्देश्य मिशन को संस्थागत रूप देना और इसके लाभों को दीर्घकाल तक, व्यापक पैमाने पर, स्थायीबनाए रखना होगा।
वर्ष 2035 तक, यह मिशन भारत को समावेशी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कार्यान्वयन में एक वैश्विक नेता के रूप में परिकल्पित करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रौद्योगिकी न केवल आर्थिक वृद्धि को गति दे, बल्कि आजीविकाओं को सुदृढ़ करे, अवसरों तक पहुँच का विस्तार करे, और एक न्यायसंगत तथा सशक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में राष्ट्र की यात्रा को समर्थन प्रदान करे।
निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारत की यात्रा एक स्पष्ट विज़न और निर्णायक कार्यवाही को दर्शाती है। कंप्यूटिंग अवसंरचना के विस्तार से लेकर देशज मॉडल्स को प्रोत्साहित करने और स्टार्टअप्स का समर्थन करने तक, देश एक मजबूत एआई पारिस्थितिकी तंत्र बना रहा है जो नागरिकों को लाभ पहुँचाता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शासन के क्षेत्रों में की गई पहलों ने वास्तविक प्रभाव के साथ व्यावहारिक अनुप्रयोगों को प्रदर्शित किया है। इंडियाएआई मिशन, डिजिटल श्रमसेतु, और फाउंडेश्नल मॉडल विकास जैसी रणनीतिक पहलों से यह सुनिश्चित हो रहा है कि नवाचार हर नागरिक तक पहुँचे, साथ ही अनुसंधान, कौशल और उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिले। ये प्रयास भारत को विकसित भारत 2047 के अपने विज़न की ओर बढ़ते हुए,एक वैश्विक एआई नेता के रूप में उभरने के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
संदर्भ
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
संचार मंत्रालय
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
नीति आयोग
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