Ministry of Heavy Industries of the Republic of India

12/11/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/11/2025 08:03

वन भूमि से विस्थापन

जनजातीय कार्य मंत्रालय

वन भूमि से विस्थापन

प्रविष्टि तिथि: 11 DEC 2025 4:57PM by PIB Delhi

केंद्रीय जनजातीय कार्य केंद्रीय मंत्री श्री जुअल ओराम ने आज लोकसभा में सदन के पटल पर एक वक्तव्य रखा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम (संक्षेप में, एफआरए), जिसे 2006 में अधिनियमित किया गया, की धारा 3 (1) के अंतर्गत वन अधिकार निहित हैं, जिनमें धारा 2 (सी) और 2 (ओ) में परिभाषित वनवासी अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के किसी सदस्य या सदस्यों द्वारा निवास या आजीविका के लिए खेती के लिए व्यक्तिगत या सामूहिक कब्जे वाली वन भूमि में रहने और धारण करने का अधिकार शामिल है। एफआरए की धारा 4 (5) में कहा गया है कि "जब तक अन्यथा प्रावधान न हो, किसी भी वनवासी अनुसूचित जनजाति या अन्य पारंपरिक वनवासी के सदस्य को मान्यता एवं सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक उसके कब्जे वाली वन भूमि से बेदखल नहीं किया जाएगा या हटाया नहीं जाएगा।" इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006 उक्त अधिनियम की धारा 4, उपधारा (2) में उल्लिखित कुछ शर्तों को पूरा करने के अंतर्गत वन अधिकार धारकों के पुनर्वास के लिए प्रावधान करता है।

राज्य सरकारों की ओर से लंबित आवेदकों के विस्थापित होने के बारे में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, बाघ अभ्यारण्य के मुख्य/महत्वपूर्ण बाघ आवासों से कोई व्यक्ति विस्थापित नहीं हुआ है और लोगों की स्वतंत्र एवं पूर्व सूचित सहमति ली जाती है तथा राज्य सरकारों द्वारा, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों (वनाधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अंतर्गत स्वैच्छिकता के अनुरूप उचित सावधानी बरती जाती है।

मध्य प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, देवास जिले में कुल 9238 दावे (व्यक्तिगत- 8762 और सामुदायिक- 476) प्राप्त हुए हैं, जिनमें से कुल 4869 (52.70%प्रतिशत) टाइटल वितरित किए गए, 4368 (47.28प्रतिशत) दावे अस्वीकार किए गए और एक दावा लंबित है। इस प्रकार, मध्य प्रदेश के देवास जिले में 99.98प्रतिशत दावे निपटाए जा चुके हैं।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, 31 अक्टूबर 2025 तक ग्राम सभा स्तर पर कुल 51,57,332 दावे दर्ज किए गए, जिनमें 49,44,101 व्यक्तिगत और 2,13,231 सामुदायिक दावे शामिल हैं। इनमें से कुल 25,14,774 (48.76प्रतिशत) टाइटल वितरण किए गए, जिनमें 23,92,545 व्यक्तिगत और 1,22,229 सामुदायिक टाइटल शामिल हैं। कुल 18,73,738 (36.33%) आवेदन अस्वीकृत किए गए और कुल 7,68,820 आवेदन निर्णय के लिए लंबित हैं। राज्यवार विवरण अनुलग्नक में उपलब्ध हैं।

जनजातीय कार्य मंत्रालय में स्वैच्छिक पुनर्वास अधिनियम (एफआरए) के अंतर्गत बाघ परियोजना, वन क्षेत्रों में पारिस्थितिक पर्यटन और अन्य परियोजना क्षेत्रों के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के स्तर पर उक्त जानकारी का संकलन नहीं किया गया है क्योंकि संबंधित प्रावधानों में स्पष्ट रूप से राज्य स्तरीय निगरानी समिति और जिला स्तरीय कार्यान्वयन समिति का प्रावधान है, जो स्वैच्छिक पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी एवं कार्यान्वयन की देखरेख करती हैं।

अनुलग्नक

लोकसभा तारांकित प्रश्न संख्या 171 के भाग (ई) के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक, जिसका उत्तर 11.12.2025 को दिया गया।

अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006 के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 31.10.2025 तक राज्यवार दावों एवं स्वामित्व दस्तावेजों का वितरण तथा अस्वीकृत दावों का विवरण निम्न हैं:

पीके/केसी/एके/डीके


(रिलीज़ आईडी: 2202543) आगंतुक पटल : 5
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