Prime Minister’s Office of India

09/20/2025 | Press release | Distributed by Public on 09/20/2025 04:12

PM’s speech during ‘Samudra se Samriddhi’ programme in Bhavnagar, Gujarat

PM's speech during 'Samudra se Samriddhi' programme in Bhavnagar, Gujarat

20 Sep, 2025
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PM's speech during 'Samudra se Samriddhi' programme in Bhavnagar, Gujarat

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गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे साथी सर्बानंद सोनोवाल जी, सीआर पाटिल, मनसुख भाई मांडविया, शांतनु ठाकुर, निमुबेन बाभंणिया, इस कार्यक्रम में देश के 40 से ज्यादा स्थानों से जुड़े, सभी मेजर पोर्ट से जुड़े, अलग-अलग राज्यों के मंत्रिगण, वरिष्ठ अधिकारीगण, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आप सभी का अभिनंदन।

अपने भावनगर ने धूम मचा दी है, हाँ अभी करंट आया। में यहाँ देख रहा हूं कि पंडाल के बाहर मानव समुद्र दिख रहा है सब। इतनी बड़ी संख्या में आप सब आशीर्वाद देने आए, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

साथियों,

ये कार्यक्रम तो भावनगर में हो रहा है, लेकिन ये कार्यक्रम पूरे हिन्दुस्तान का है। आज भावनगर निमित्त है और पूरे भारत में समुद्र से समृद्धि की ओर जाने की हमारी दिशा क्या है, उसके लिए आज इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का केंद्र भावनगर चुना गया है। गुजरात के लोगों को, भावनगर के लोगों को बहुत-बहुत बधाई।

साथियों,

अभी 17 सितंबर को आप सबने अपने नरेन्द्र भाई को जो शुभकामनाएं भेजी हैं, देश और दुनिया से जो शुभकामनाएं मुझे मिली हैं, व्यक्तिगत तौर पर सबका धन्यवाद करना संभव नहीं है, लेकिन भारत के कोने-कोने से और विश्व भर से ये जो प्यार मिला है, ये जो आशीर्वाद मिले हैं, ये मेरी बहुत बड़ी संपत्ति है, ये मेरी बहुत बड़ी ताकत है और इसलिए सार्वजनिक रूप से में आज देश और दुनिया के सभी महानुभावों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यहां एक बेटी कोई चित्र बनाकर के ले आई है, वहां एक बेटा लेकर के आया है, जरा इसको कलेक्ट कर लीजिए भाई, इन बच्चों को मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद। थैंक यू जो लोग लाए हैं, मैं आपके प्यार के लिए मैं आपका आभारी हूं, आपने इतनी मेहनत की, धन्यवाद जी, धन्यवाद बेटा, थैंक यू दोस्त।

साथियों,

विश्वकर्मा जयंती से लेकर गांधी जयंती तक, यानी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पूरे देश में लाखों लोग सेवा पखवाड़ा मना रहे हैं। मुझे बताया गया है कि गुजरात में भी अभी तो 15 दिन का सेवा पखवाड़ा है, लेकिन पिछले दो तीन दिनों में, सेवा पखवाड़े के दौरान बहुत से कार्यक्रम हुए हैं, सैंकड़ों जगहों पर ब्लड डोनेशन कैंप लगें, और इनमें एक लाख लोग अब तक ब्लड डोनेट कर चुके हैं। ये सिर्फ मुझे जो गुजरात की जानकारी मिली, वो बता रहा हूं मैं। अनेक शहरों में सफाई अभियान चलाए गए, लाखों लोग इन सफाई अभियानों में भी साथ आए, राज्य में 30 हजार से ज्यादा जगहों पर, ये आंकड़ा बहुत बड़ा है, हेल्थ कैंप लगाए हैं, जहां लोगों को जांच और उपचार की मदद की जा रही है, खासकर के महिलाओं के स्वास्थ्य को केंद्र में रखा गया है। देशभर में सेवा कार्यों से जुड़े हर किसी का मैं अभिनंदन करता हूं, उनका आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आज इस आयोजन में, मैं सबसे पहले कृष्ण कुमार सिंह जी का पुण्य स्मरण करता हूं। सरदार साहब के मिशन से जुड़ते हुए उन्होंने भारत की एकता के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया। आज ऐसे ही महान देशभक्तों की प्रेरणा से हम भारत की एकता को मजबूत कर रहे हैं, एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत कर रहे हैं।

साथियों,

आज मैं ऐसे समय में भावनगर आया हूं, जब नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने वाला है। इस बार जीएसटी में कमी की वजह से, बाजारों में रौनक भी और ज्यादा रहने वाली है, और ये उत्सव के इसी माहौल में आज हम समुद्र से समृद्धि का महा उत्सव मना रहे हैं। भावनगर के भाइयों, मुझे माफ करना, मुझे हिन्दी में इसलिए बोलना पड़ रहा है, क्योंकि देशभर के लोग इसमें जुड़े हुए हैं। देशभर के लाखों लोग जब कार्यक्रम में जुड़े हुए हों, तो आपसे क्षमा मांगकर मुझे हिन्दी में ही बात करनी पडेगी।

साथियों,

21वीं सदी का भारत, आज समुद्र को बहुत बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। थोड़ी देर पहले, यहां पोर्ट-लेड डेवलपमेंट को गति देने के लिए, हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन किया गया है। देश में क्रूज टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए आज मुंबई में इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल का भी लोकार्पण किया गया है। भावनगर के, गुजरात के विकास से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स भी शुरू हुए हैं। मैं सभी देशवासियों को और गुजरात के लोगों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

भारत आज विश्व-बंधु की भावना से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। सच्चे अर्थ में अगर हमारा कोई दुश्मन है तो वो है- दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता। यहीं हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को, निर्भरता वाले दुश्मन को हराना ही होगा। हमें ये बात हमेशा दोहरानी है, जितनी ज्यादा विदेशी निर्भरता, उतनी ज्यादा देश की विफलता, विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। हम दूसरों पर आश्रित रहेंगे, तो हमारा आत्म-सम्मान भी चोटिल होगा। 140 करोड़ देशवासियों के भविष्य को हम दूसरों पर नहीं छोड़ सकते, देश के विकास के संकल्प को हम दूसरों की निर्भरता पर नहीं छोड़ सकते, हम भावी पीढ़ी के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकते।

और इसलिए भाइयों-बहनों,

हमारे यहां गुजराती में कहते हैं, सौ दुःखो की एक ही दवाई। 100 दुखों की एक ही दवाई है, और वो है आत्मनिर्भर भारत। लेकिन इसके लिए हमें चुनौतियों से टकराना होगा, हमें दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता लगातार कम करते जाना होगा। और अब भारत को आत्मनिर्भर बनकर दुनिया के सामने मजबूती के साथ खड़ा होना ही होगा।

भाइयों और बहनों,

भारत में सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है। लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस ने भारत के हर सामर्थ्य को नजरअंदाज किया। इसलिए, आज़ादी के 6-7 दशकों बाद भी भारत वो सफलता हासिल नहीं कर पाया, जिसके हम हकदार थे। इसके दो बड़े कारण रहे, लंबे समय तक कांग्रेस सरकार ने देश को लाइसेंस कोटा राज में उलझाए रखा, दुनिया के बाजार से अलग-थलग रखा। और फिर जब ग्लोबलाइज़ेशन का दौर आया, तो सिर्फ इंपोर्ट का ही रास्ता पकड़ लिया गया। और उसमें भी हजारों-लाखों करोड़ों के घोटाले कर दिए गए। कांग्रेस सरकारों की इन नीतियों ने देश के नौजवानों का बहुत नुकसान किया। इन नीतियों ने भारत की असली ताकत को सामने आने से रोक दिया।

साथियों,

देश का कितना नकुसान हुआ है, इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण, हमारा शिपिंग सेक्टर है। आप भी जानते हैं कि भारत सदियों से दुनिया की एक बड़ी समुद्री ताकत था, हम दुनिया में शिप बिल्डिंग के सबसे बड़े सेंटर हुआ करते थे। भारत के तटीय राज्यों में बने जहाज़, देश और दुनिया के व्यापार-कारोबार को गति देते थे। यहां तक कि आज से 50 साल पहले तक भी हम भारत में बने जहाजों का उपयोग करते थे। उस दौर में भारत का चालीस प्रतिशत, 40 परसेंट से अधिक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, देश में ही बने जहाज़ों से होता था। लेकिन फिर, देश का शिपिंग सेक्टर भी कांग्रेस की कुनीतियों का शिकार हो गया। कांग्रेस ने भारत में जहाज़ निर्माण पर जोर देने के बजाय, विदेशी जहाज़ों को किराया-भाड़ा देना बेहतर समझा। इससे भारत में शिप-बिल्डिंग इकोसिस्टम ठप हो गया, विदेशी जहाज़ों पर निर्भरता ये हमारी मजबूरी बन गया। परिणाम ये हुआ कि 50 साल पहले जहां चालीस परसेंट व्यापार, भारतीय जहाज़ों पर होता था, वो हिस्सा घटकर सिर्फ पांच परसेंट रह गया। यानी अपने ninety five percent ट्रेड के लिए हम विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गए। विदेशी जहाजों पर इस निर्भरता का हमें बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

साथियों,

मैं आज देश के सामने कुछ आंकड़े आप सबके सामने रखना चाहता हूं। देशवासी ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि, आज भारत हर साल, करीब 75 बिलियन डॉलर यानी लगभग छह लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को शिपिंग सर्विसेस के लिए देता है, किराया देता है। ये आज भारत का जितना डिफेंस बजट है, करीब-करीब उतना पैसा किराये में दिया जा रहा है। आप कल्पना कीजिए, सात दशकों में कितना पैसा हमने सिर्फ भाड़े के रूप में दूसरे देशों को दिया है। हमारे पैसों से विदेशों में लाखों नौकरियां बनी हैं। सोचिए, इतने सारे पैसे का, अगर एक छोटा सा हिस्सा भी अगर पहले की सरकारें, अपनी शिपिंग इंडस्ट्री पर लगातीं, तो आज दुनिया हमारे जहाज़ इस्तेमाल कर रही होती, हमें लाखों-करोड़ रूपए शिपिंग सर्विसेस के रूप में मिल रहे होते, और हमारे बच जाते वो तो अलग।

साथियों,

भारत को अगर 2047, जब देश की आजादी के 100 साल होंगे, 2047 तक विकसित होना है, तो भारत को आत्मनिर्भर होना ही होगा। आत्मनिर्भर होने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। 140 करोड़ देशवासियों का एक ही संकल्प होना चाहिए, चिप हो या शिप, हमें भारत में ही बनाने होंगे। इसी सोच के साथ आज भारत का मेरीटाइम सेक्टर भी नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स करने जा रहा है। आज से देश के हर मेजर पोर्ट को भांति-भांति के डॉक्युमेंट्स से, अलग-अलग प्रोसेसेज़ से मुक्ति मिलेगी। वन नेशन, वन डॉक्युमेंट, और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस, अब व्यापार-कारोबार को और सरल करने वाली है। हाल में ही, जैसे हमारे मंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी ने बताया, मॉनसून सेशन के दौरान, पार्लियामेंट में हमने ऐसे अनेक पुराने कानूनों को बदला है, जो अंग्रेज़ों के जमाने से चले आ रहे थे। हमने मेरीटाइम सेक्टर में अनेक रिफॉर्म करने का सिलसिला शुरू किया है। हमारी सरकार ने पांच मेरीटाइम कानूनों को नए अवतार में देश के सामने रखा है। इन कानूनों से और इन कानूनों के आने से शिपिंग सेक्टर में, पोर्ट गवर्नेंस में एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

साथियों,

भारत सदियों से बड़े-बड़े जहाज बनाने में एक्सपर्ट रहा है। नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स देश के इस भूले हुए गौरव को फिर वापस लाने में मदद करेंगे। बीते दशक में हमने 40 से अधिक शिप्स और पनडुब्बियां, नेवी में इंडक्ट की हैं। इनमें से एक-दो को छोड़ दें, तो ये सब हमने भारत में ही बनाई हैं। आपने आइएनएस विक्रांत के विषय में सुना होगा, इतना विशाल INS- विक्रांत भी भारत में ही बना है, इसे बनाने के लिए जो हाई क्वालिटी स्टील लगी, वो भी भारत में बनी थी। यानी हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास कौशल की कोई कमी नहीं है। बड़े शिप बनाने के लिए जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, उसका भरोसा मैं आज देशवासियों को दे रहा हूं।

साथियों,

देश के मैरीटाइम सेक्टर को मजबूती देने के लिए कल भी एक बहुत ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। हमने देश की पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव किया है। अब सरकार ने बड़े जहाजों को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता दी है। जब किसी सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता मिलती है, तो उसे बहुत फायदा होता है। अब बड़े शिप बनाने वाली कंपनियों को बैंकों से लोन मिलने में आसानी होगी, उन्हें ब्याज दर में भी छूट मिलेगी, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के जितने भी और लाभ होते हैं, वो सारे के सारे इन जहाज बनाने वाली कंपनियों को भी मिलेंगे। सरकार के इस निर्णय से, भारतीय शिपिंग कंपनियों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा, उन्हें ग्लोबल कंप्टीशन में आगे आने में मदद मिलेगी।

साथियों,

भारत को दुनिया की एक बड़ी समुद्री शक्ति बनाने के लिए, तीन और बड़ी स्कीम्स पर भारत सरकार काम कर रही है। इन तीन योजनाओं से शिप बिल्डिंग सेक्टर को आर्थिक मदद मिलने में आसानी होगी, हमारे ship-yards को modern technology अपनाने में मदद होगी, और डिजाइन और क्वालिटी सुधारने में भी बहुत मदद मिलने वाली है। इन पर आने वाले वर्षों में सत्तर हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे।

साथियों,

मुझे याद है, साल 2007 में जब मैं यहां मुख्यमंत्री के रूप में आपकी सेवा कर रहा था, तब शिप-बिल्डिंग के अवसरों को लेकर एक बहुत बड़ा सेमिनार गुजरात ने आयोजित किया था। उसी दौरान ही गुजरात में हमने, शिप-बिल्डिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट दिया था। अब हम देशभर में शिप-बिल्डिंग के लिए व्यापक कदम उठा रहे हैं। यहां मौजूद एक्सपर्ट्स जानते हैं कि Ship-building कोई साधारण इंडस्ट्री नहीं है। Ship-building Industry को पूरी दुनिया में Mother of All Industries, Mother of All Industries की जननी कहा जाता है, उद्योगों की जननी कहा जाता है। क्योंकि इसमें सिर्फ एक जहाज़ ही नहीं बनता, उसके साथ जो उद्योग जुड़े होते हैं, उनका विस्तार होता है। स्टील, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, पेंट्स, आईटी सिस्टम, ऐसे अनेक- अनेक उद्योगों को शिपिंग इंडस्ट्री से सपोर्ट मिलता है। इससे छोटे और लघु उद्योगों को, MSMEs को फायदा होता है। रिसर्च बताती है कि shipbuilding में होने वाले हर एक रुपए के निवेश से इकॉनॉमी में लगभग दोगुना निवेश बढ़ता है। और शिपयार्ड में पैदा होने वाली हर एक जॉब, हर एक रोजगार सप्लाई चेन में छह से सात नई नौकरियां बनाती है। मतलब अगर शिप-बिल्डिंग इंडस्ट्री में सौ नौकरियां बनती हैं, तो इससे जुड़े दूसरे सेक्टर्स में 600 से अधिक जॉब्स क्रिएट होती हैं। इतना बड़ा मल्टी-प्लायर इफेक्ट शिप-बिल्डिंग का होता है।

साथियों,

हम शिप बिल्डिंग के जरूरी स्किल सेट्स पर भी फोकस कर रहे हैं। इसमें हमारे ITI काम आएंगी, मेरीटाइम यूनिवर्सिटी का रोल बढ़ेगा। बीते वर्षों में हमने कोस्टल एरिया में नेवी और NCC के तालमेल से नई व्यवस्थाएं बनाई हैं। इन NCC कैडेट्स को नेवी के साथ-साथ कमर्शियल सेक्टर की भूमिकाओं के लिए भी तैयार किया जाएगा।

साथियों,

आज का भारत, एक अलग मिजाज से आगे बढ़ रहा है। हम जो लक्ष्य तय करते हैं, उसे अब समय से पहले पूरा करके भी दिखाते हैं। सोलर सेक्टर में भारत अब अपने लक्ष्यों को चार-चार, पांच-पांच साल पहले हासिल कर रहा है। पोर्ट लेड डेवलपमेंट को लेकर भी 11 साल पहले जो लक्ष्य हमने तय किए थे, भारत उनमें जबरदस्त सफलताएं हासिल कर रहा है। हम देश में, बड़े-बड़े जहाज़ों के लिए बड़े पोर्ट्स बना रहे हैं, सागरमाला जैसी स्कीम्स से पोर्ट्स की कनेक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं।

साथियों,

बीते 11 साल में भारत ने अपनी पोर्ट कैपेसिटी दोगुनी कर ली है। 2014 से पहले भारत में शिप टर्न अराउंड टाइम औसतन 2 दिन होता था। अब आज भारत में शिप टर्न अराउंड टाइम एक दिन से भी कम हो गया है। हम देश में नए और बड़े पोर्ट्स का निर्माण भी कर रहे हैं। हाल में ही केरल में, देश का पहला डीप वॉटर कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट शुरु किया है। 75 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत से महाराष्ट्र में वाढवण पोर्ट बन रहा है। ये दुनिया के टॉप टेन पोर्ट्स में से एक होगा।

साथियों,

आज समुद्री रास्ते से होने वाले ट्रेड में भारत का हिस्सा सिर्फ 10 परसेंट है। हमें इसे और बढ़ाना है, हम 2047 तक, दुनिया के समुद्री व्यापार में अपनी हिस्सेदारी को लगभग तीन गुणा तक बढ़ाना चाहते हैं। और ये हम करके दिखाएंगे।

साथियों,

जैसे-जैसे हमारा समुद्री व्यापार बढ़ रहा है, तो हमारे समुद्री नाविकों यानी सी-फेरर्स, की संख्या भी बढ़ रही है। ये वो मेहनती प्रोफेशनल्स हैं, जो समंदर में जहाज़ चलाते हैं, इंजन और मशीनरी संभालते हैं, लोडिंग-अनलोडिंग का काम देखते हैं। एक दशक पहले हमारे यहां सी-फेरर्स सवा लाख से भी कम थे। लेकिन आज इनकी संख्या तीन लाख के पार पहुंच चुकी है। आज भारत दुनिया के टॉप-3 देशों में आ गया है, जो सबसे ज़्यादा सी-फेरर्स दुनिया को उपलब्ध कराता है, और इससे भारत के नौजवानों को रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। यानी भारत की बढ़ती शिप इंडस्ट्री, दुनिया की ताकत भी बढ़ा रही है।

साथियों,

भारत की एक समृद्ध समुद्री विरासत है। हमारे मछुआरे, हमारे प्राचीन पोर्ट सिटी, इस धरोहर के प्रतीक हैं। हमारा ये भावनगर, ये सौराष्ट्र इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। इस विरासत को हमें भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाना है, दुनिया को हमारा सामर्थ्य दिखाना है। और इसलिए लोथल में हम एक शानदार मैरिटाइम म्यूजियम बना रहे हैं। और ये भी दुनिया का सबसे बड़ा मैरिटाइम म्यूजियम बनेगा। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तरह ही ये भारत की नई पहचान बनेगा। थोड़ी देर बाद मैं आज वहां भी जा रहा हूं।.

साथियों,

भारत के समुद्र-तट, भारत की समृद्धि के प्रवेश द्वार बनेंगे। और मैं बड़े गर्व के साथ, और मैं दूर तक का देख सकता हूं, कि भारत के समुद्री तट, भारत की समृद्धि के प्रवेश द्वार बनने वाले हैं। मुझे खुशी है कि गुजरात की ये कोस्टलाइन भी, एक बार फिर यहां के लिए वरदान बन रही है। आज ये पूरा क्षेत्र, देश को पोर्ट-लेड डेवलपमेंट का नया रास्ता दिखा रहा है। आज देश में समंदर के रास्ते जितना कार्गो आता है, उसका फोर्टी परसेंट गुजरात के पोर्ट्स हैंडल करते हैं। अब इन पोर्ट्स को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का भी फायदा मिलने वाला है। इससे देश के दूसरे हिस्सों तक तेज़ी से सामान पहुंचाना आसान होगा। इससे पोर्ट्स की efficiency भी और अधिक बढ़ेगी।

साथियों,

यहां शिप ब्रेकिंग का भी एक बड़ा इकोसिस्टम बन रहा है। अलंग का शिप ब्रेकिंग यार्ड, इसका शानदार उदाहरण है। इससे भी यहां बड़ी संख्या में नौजवानों को रोजगार मिल रहा है।

साथियों,

विकसित भारत के लिए हमें हर क्षेत्र में, हर सेक्टर में तेजी से काम करना है। और हम सब जानते हैं कि विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भर भारत से होकर जाता है। इसलिए, हमें याद रखना है, हम जो भी खरीदें, वो स्वदेशी हो। हम जो भी बेचें, वो स्वदेशी हो। मैं सभी दुकानदार साथियों से कहूंगा, आप अपनी दुकानों पर एक पोस्टर लगाएं, जिसमें लिखा हो- गर्व से कहो, ये स्वदेशी है। हमारा ये प्रयास हमारे हर उत्सव को तो भारत की समृद्धि का महोत्सव बना देगा। इसी भावना के साथ, आप सभी को नवरात्रि की एक बार फिर से शुभकामनाएं देता हूं! एक छोटा बालक चित्र बनाकर के लाया है, कब से खड़ा है उसके हाथ दुखते होंगे, कोई जरा इसको कलेक्ट करे, छोटा सा बालक है, शाबाश बेटे। चलो बेटा तुम्हारा चित्र मिल गया है, रोने की जरूरत नहीं है बेटा। मिल गया, मिल गया चित्र तुम्हारा मिल गया है, अगर तुम्हारा एड्रेस उसमें लिखा होगा, तो मैं तुझे जरूर चिट्ठी लिखूंगा।

साथियों,

ये छोटे-छोटे बच्चों का प्यार इससे बड़ी जीवन की पूंजी क्या हो सकती है? मैं फिर एक बार आज जो भव्य स्वागत सत्कार सम्मान किया, इसके लिए मैं आपका आभार मानता हूं, और मुझे मालूम है, जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ, तो पूरा भावनगर मैदान में था। आपके मिजाज का मुझे पता है, मैं इसके लिए भी आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। भावनगर के भाइयों और बहनों, नवरात्रि की मांडवी (मंडप) से जरा जोर लगाना, ताकि देश के सभी लोगो को आत्मनिर्भर भारत का संदेश अपनी मांडवी (मंडप) के द्वारा भी मिले। बहुत-बहुत धन्यवाद भाइयों!

India's ports are the backbone of our nation's rise as a global maritime powerhouse. Addressing the 'Samudra Se Samriddhi' programme in Bhavnagar. https://t.co/T7k56n99Gd- Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2025 For peace, stability and prosperity in the world, India must become self-reliant. pic.twitter.com/aOvcLaxWiQ- PMO India (@PMOIndia) September 20, 2025 Chips or ships, we must make them in India. pic.twitter.com/pRwQvoqW4P- PMO India (@PMOIndia) September 20, 2025 A historic decision has been taken to strengthen India's maritime sector… the government now recognises large ships as infrastructure. pic.twitter.com/aVjKwrG2ng- PMO India (@PMOIndia) September 20, 2025 India's coastlines will become gateways to the nation's prosperity. pic.twitter.com/j7pgdhbzMT- PMO India (@PMOIndia) September 20, 2025
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